हल्की खनक सी कहीं सुन रही
ज़ेहन साज़ कुछ गुनगुनाने लगा
कहानी नये पन्ने है चुन रही
क़त्रे बहे जो इकठे हुए थे
बिखरना था आसान जो होने दिया ना
हल्की खनक सी कहीं सुन रही
याद कोई दिल के दर पे मेरे मुस्कान दे जाएगी
हल्की नरम धूप बातें तेरी राहत ही दे जायेंगी
क़त्रे बहे जो इकठे हुए थे अब धूप की आमदें
बिखरना था आसान जो होने दिया ना
कायनात है साथ में हल्की खनक सी कहीं सुन रही
ज़ेहन साज़ कुछ गुनगुनाने लगा
कहानी नये पन्ने है चुन रही
हल्की खनक सी कहीं सुन रही