LyricFind Logo
LyricFind Logo
Profile image icon
Lyrics
पूछे की कितना शैतान है तू
मैं बोलूं की नहीं हूँ ज़रा भी
मुझे तो समझ ना नादान
देखो ये मेरी है हाज़िर जवाबी

मेरे तो दर पे है मेहमान
जैसे अटापी वटापी, हैवान!
सारे हम बैठे यहाँ पे आराम से
उठेंगे हम भी सुबह को शवगृह
सीखे में खाली 4 पाठ
पैसे के पीछे तुम बर्बाद
खाली बागीचों में मत झांक
भरे रास्तों में मत भाग
पागल बनाती ये सरकार
बने धनवान फिर जब लालकारते
हम सब हारते!
वैसे भी हम सब हारते
जब भी चलेंगे हम संभालके
टेढ़ी मेढ़ी मेरी चाल
मेरे अलावा सब सच जानते
ऐसा हुआ मेरा हाल
खोला पेपर मैंने 10 साल में
शायद उस दिन पहली बार
पढ़ा खाली मैंने (मौत मौत मौत मौत!)
जल रहा सारा संसार (युह)

लगेगी आग
उठेगा राख!
कटेगी नाक सभी की
बिकेंगे ख्वाब
मांगा हिसाब
क्यों बने आज
फरेबी?
गहरा इलाज
भेड़ा समाज
परदा फाश करेगी भी कैसे
जब जान है दाम तो भरेगी कैसे?
इल्ज़ाम निज़ाम पे उठेगी कैसे?
मूछ छिलके
पूछ हिल्लाके
पूछे आके
बोले क्यों चिल्लाके?
दम दबाके भागे
पीछे आग है
चमचमाती नियत में भी दाग है
मन बानके
फिर दगा दे
घर से ज्यादा
सच पनाह दे
बचपना ये
खोना मुझको नहीं
रोना मुझको नहीं
सोना मुझको नहीं
मेरी आँखें खुली कर ली 4 धाम वाली यात्रा
ऊपर नीचे जैसे मात्र
ज़िंदगी पूछे मुझसे पूरा आंकड़ा
मैं बोलूं घूमूंगा जब तक ये चक्रा
मैं तो नहीं भागा
किसकी नहीं चाटरा
हुआ तबादला
क्यों बना अगला
जब करू काम में आज
और पहले ही दिया नाम में राज
तो करने दो!
राख, राख, राख, राख
जलेगा, उठेगा, फैलेंगे, राख!
राख, राख, राख, राख
जलेगा, उठेगा, फैलेंगे, राख!
राख

WRITERS

KARAN KANCHAN, RISHI THAKKER, YASHRAJ MEHRA

PUBLISHERS

Lyrics © Universal Music Publishing Group

Share icon and text

Share


See A Problem With Something?

Lyrics

Other