आगे आगे चलूँ मैं पीछे मेरी ज़िंदगी
थोड़ा सा जी लूँ आज मर्ज़ी है मेरी
कच्चे कच्चे रस्तों पे ज़िंदगी है टेढ़ी सी
रोशन है रात और सुबह मेरी अंधेरी सी
बीते लम्हों को भुला के (भुला के)
पल थोड़े से चुरा के (चुरा के)
पल धीरे धीरे बेहता जाये जाये
पल धीरे धीरे बेहता जाये जाये
पल धीरे धीरे बेहता जाये जाये
पल धीरे धीरे बेहता जाये जाये
शामें हैं काली सी कोई स्याही
लिख दो इससे तुम्हारी कहानी
तुम हो मुसाफ़िर और ज़िंदगी सफ़र
टुकड़ों में जैसे कहानी है बटी
शामें हैं काली सी कोई स्याही(उ उ उ)
लिख दो इससे तुम्हारी कहानी
तुम हो मुसाफ़िर और ज़िंदगी सफ़र
टुकड़ों में जैसे कहानी है बटी
लंबे लंबे रास्तों पे ज़िंदगी है छोटी सी
इस पल को जी लो जैसे पल है कोई आखरी
बीते लम्हों को भुला के (भुला के)
पल थोड़े से चुरा के (चुरा के)
पल धीरे धीरे बेहता जाये जाये
पल धीरे धीरे बेहता जाये जाये
पल धीरे धीरे बेहता जाये जाये
पल धीरे धीरे बेहता जाये जाये